Delhi Blast News
लाल किले पर हम मौजूद हैं और अब से कई घंटों पहले यहां पर एक ऐसी घटना घटी जिसने देश को हिला कर रख दिया। जिसने मन में ये सवाल पैदा कर दिया कि जब हम अगली बार सड़क पर निकलेंगे तो क्या हम सुरक्षित हैं?यह सवाल पैदा किया कि हमारे अगल-बगल वो लोग जो सामान्य से नजर आते हैं। डॉक्टर, इंजीनियर क्या वही देश के बड़े दुश्मन है? वो फिल्मों में जो दिखाया जाता है कि देश को ज्यादा बड़ा खतरा बाहर के दुश्मन ज्यादा अंदर के दुश्मनों से। दुश्मन सिर्फ बॉर्डर के उस पार नहीं होता। घर के अंदर भी होता है। ऐसे बहुत सवाल है। लेकिन इन सवालों के बीच एक सवाल जो था कि क्या यह घटना एक कार दुर्घटना थी या आतंकी घटना थी?क्योंकि प्रशासन की तरफ से स्पष्ट तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई थी। इसकी जांच बहुत ही तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। लेकिन अब कमोबेश स्थिति साफ हो गई है। वो जो शक हम सबको था वही सच था। एनआईए ने जांच ले ली है और एनआईए की जांच लेने का मतलब है कि आतंकवाद की निगाहों से देखा जा रहा है। फिलहाल जहां मौजूद है वहां से मैं आपको तस्वीरें दिखा रहा हूं। ये लाल किला परिसर है इस वक्त जो हम आपको दिखा रहे हैं और इस पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। वहां पर अगर आप देखेंगे जो वाइट टेंट नजर आ रहा है। यह दरअसल वाइट टेंट वही इलाका है जहां पर कार की दुर्घटना हुई थी।
घटना से पहले — गाड़ी का ट्रैकिंग और रोका-जाना
i20 कार जो चली थी जिसकी वजह से कई लोगों की डेथ हो गई थी। गेट नंबर एक लाल किले का है मेट्रो के पास का। यह वही इलाका है। पूरा इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया है। लोगों को आने जाने की परमिशन नहीं है। सिर्फ मीडिया कर्मी जो है वो इस इलाके तक आ रहे हैं। पुलिसकर्मी हैं जो यहां मौजूद हैं। तमाम अधिकारी आ रहे हैं। वो जांच कर रहे हैं। इस घटना ने इस देश में कई सारे सवाल पैदा कर दिए। एक सवाल आतंकी कनेक्शन को लेकर और उससे बड़ा सवाल डॉक्टर्स के आतंकी कनेक्शन को लेकर। क्योंकि आमतौर पर हम और आप यह मानते थे कि एक गरीब आदमी जो है उसे बेवकूफ बनाना आसान होता है। उसका ब्रेन वाश करना आसान होता है। पाकिस्तान में कोई बैठा आदमी उसका ब्रेन वाश कर सकता है क्योंकि वो गरीब है। उसे पैसा चाहिए। धर्म के नाम पर बेवकूफ बनाना आसान होता है।
मालवाहक/वाहन की पहचान और मालिकाना जाँच
लेकिन पढ़े-लिखे लोगों को लेकर हमारे देश में एक मानसिकता है कि ये समझदार हैं। और आज यहां पर भी कई पुलिसकर्मी भी हमसे पूछ रहे हैं कि सर ये डॉक्टर्स जो हैं ये कैसे कर सकते हैं? ये तो समझदार होने चाहिए थे। लेकिन शायद इनकी समझदारी में ही वह सवाल है कि क्या कोई आतंकवादी डॉक्टर बना या डॉक्टर आतंकवादी बने और पहला वाला जो है वो ज्यादा नजर आता है क्योंकि जितने भी लोग पकड़े गए हैं उनके सोशल मीडिया फुटप्रिंट्स आपको ना के बराबर मिलेंगे वो सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं है किसी ने छ साल से मोबाइल नहीं चलाया आठ साल से नहीं चलाया सोशल मीडिया पर वो पोस्ट नहीं करते हैं दे वर नॉट हैविंग अ नार्मल लाइफ तो क्या कम उम्र में पकड़ कर ब्रेन वाश किया जाता था जिसे स्लीपर सेल कहते
आम नागरिकों के लिए तात्कालिक सलाह
लाल किला हमारे ठीक पीछे है और लाल किले के इस परिसर में बहुत ज्यादा भीड़ होती है। तो क्या इंतजार वो इंस्ट्रक्शन का था किसी थ्योरी का विस्फोटक को सुरक्षित हटाने का या इंतजार था कि थोड़ी भीड़ हो जाए ताकि डैमेज हो जाए। दोनों थ्योरीज निकल कर आ रही है। आज जो थ्योरी सबसे ज्यादा चली है वो थ्योरी यही थी कि हड़बड़ तड़बड़ में इस घटना को अंजाम दिया गया। पूरा रैकेट का भांडा फोड़ हो गया था और उस भांडा फोड़ के बीच में एक कोशिश की गई कि कुछ तो कर दिया जाए। इस वजह से उस आतंकी ने फिदाइन हमले को अंजाम दिया। दिल्ली में कई सालों बाद फिदा हमला हुआ है और यह डराने वाला है। बहुत ज्यादा डराने वाला है। एक थ्योरी यह भी आई कि पूरी तरह से वो प्रिपेयर्ड नहीं थे। इसी वजह से जब ये घटना हुई तब वहां पर गड्ढा नहीं बना है। हम फिर से कोशिश करते हैं। यहां जो सफेद टेंट आपको दिख रहा है यही वो इलाका है जिसे पूरी तरह से अब यहां पर पैक कर दिया गया है। अब यहां से बाहर कुछ दिखाई नहीं पड़ेगा। अंदर से कोई देख नहीं सकता। केवल जो अधिकारी जांच करेंगे वो यहां जाएंगे
कानूनी चौखट और जांच-एजेंसियाँ शामिल होना
क्योंकि हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में मसूद अजहर या जैश मोहम्मद के लोग जो हैं वो बार-बार कह रहे थे कि हिंदुस्तान को हिराएंगे और इस घटना के बाद यह सवाल उठ रहा है। यह सवाल परेशान करने वाला भी है। फिलहाल एनआईए एक्टिव है। हम उम्मीद करते हैं कि इस घटना में जल्द से जल्द दोषियों पर कारवाई की जाएगी। यूएपीए के तहत यहां पर काम शुरू हुआ है। इरफान का जिक्र हो रहा है। सात लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। लेकिन फिर कहानी वही है कि यह घटना आतंकवादी घटना है। यह अब स्पष्ट हो चला है। लेकिन एक सवाल जो सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है वो यही परेशान कर रहा है कि इस घटना को देश के उस पार से ज्यादा हमारे साथ रहने वाले लोगों ने अंजाम दिया है। वो गाड़ी चलाने वाला, वो बम बनाने वाला, वो प्लानिंग करने वाला, वो सब बाहर से नहीं आए थे। वो हमारे अपने देश के लोग थे। उनकी माएं, उनके बहनें, उनके पिता वो हमारे देश के थे। और यह सवाल लंबे समय तक लोगों को परेशान करता रहेगा कि क्यों उन्होंने यह रास्ता अपनाया। यह सच है कि हमारे देश में मजहब के नाम पर बड़ा इजी होता है टैग देना कि यार फलानी कौम से हैं। ये सब ऐसे ही होते हैं। लेकिन उसका दूसरा पहलू भी यह है कि जो यहां पर मरे वो सिर्फ एक कौम के नहीं थे। मरने वालों में हिंदू भी था, मुसलमान भी था, छोटा भी था, बड़ा भी था। फिर क्यों मारा?क्यों इतने पढ़े लिखे लोग एक तरह से रेडिकलाइज हो रहे हैं और क्या दिल्ली अब पूरी तरह सेफ है या दिल्ली पर खतरा भी बरकरार है ये सवाल अपने आप में बड़ा महत्वपूर्ण है
